जलवायु परिवर्तन(climate change)
👉 जलवायु मे परिवर्तन एक निरंतर प्रक्रिया है! अपने प्रादुभाव से ही पृथ्वी ने अनेको जलवायु परिवर्तन देखे है!
पृथ्वी के भूगर्भिक इतिहास मे हिमयुगों एवं अंतर हिमयुग कालो मे यह जलवायु परिवर्तन की प्रक्रिया परिलक्षित होती है!
इसके प्रमाण -
★ हिमनदों द्वारा निर्मित स्थल स्थलाकृतियों की अवस्थिति, ★हिमनदीय निक्षेपो के प्रमाण,
★ वृक्षो मे तनो मे पाये जाने वाले वलय,
★ पृथ्वी पर जैविक व अजैविक तत्वों के स्थानिक वितरण आदि से प्राप्त होते है !
जलवायु परिवर्तन के कारण :-
👉 जलवायु परिवर्तन के कई कारण है, जिन्हे खगोलीय एवं पार्थिव कारणों मे बांटा जा सकता है !
★ खगोलीय कारणों का सम्बन्ध सौर कलंको की गतिविधियों से सूर्याभिताप की अधिक प्राप्ति से है! सौर कलंक सूर्य पर काले धब्बे होते है! सामान्यत: इनका चक्र 11 वर्षो का होता है!
★ पार्थिव कारको मे ज्वालामुखी उदभेदन महत्वपूर्ण है, जिसके पल स्वरूप वायुमंडल में बड़ी मात्रा में एरोसोल निसरत किये जाते है, जो कि लंबे समय तक वायुमंडल में बने रहने के कारण पृथ्वी की सतह पर पहुंचने वाली सौर्यिक विकिरणों को कम कर देते है !
वर्तमान में जलवायु परिवर्तन की दर के बढ़ने के लिए सबसे उत्तरदायी कारक :-
मानवीय क्रियाकलापों के कारण वायुमंडल में बढ़ता हरित गृह गैसों का संकेन्द्रण है, जिससे भूमंडलीय तापन को बढ़ावा मिलता है!
इसके अतिरिक्त अनेको मानवीय क्रियाकलापों के कारण वायुमंडल में क्लोरोफ्लोरोकार्बंन, हेलान्स, कार्बन टेट्रा फ्लोराइड, मीथेन, नाइट्रस ऑक्साइड, आदि निसरत होती है!
ये गैसे ओजोन परत के क्षरण के लिए उत्तरदायी हैं!
ओजोन के क्षरण के परिणामस्वरुप अधिक मात्रा में पराबैंगनी किरणों के भू-सतह तक पहुंचने के कारण भी पृथ्वी के तापमानों मे वर्द्धि के फलस्वरुप जलवायु परिवर्तनों की दर मे तेजी आती है !
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